वहाँ क्या है ??

कभी सोचा भी है,
वहाँ क्या है ?

वहाँ जाने से 
डरते हो शायद 
तभी तो  हर बार 
दरवाजे से ही लौट आते हो 

अरे….
हिम्मत करो जाकर देखो 
वहाँ क्या है ?

वैसे तो तुम 
रोज़ मुझसे मिलते हो 
फिर से इक झूठा वादा 
हर बदलती तारीख़ के साथ 
दर्ज़ कर देते हो मेरे नाम 
जब कुछ है नहीं दिल में 
तो क्यों उलझे उलझे से रहते हो 
गर जो है कुछ 
तो सुलझा लो 
इक रोज़ बैठो 
कुछ देर  मेरे साथ 
मैं तुम्हारा ही एक पुराना अक्स हूँ 
मिल कर ढूंढ ही लेंगे की 
वहाँ क्या है 

ये शोर 
बस मुझे ही सुनाई पड़ता है
या 
तुम भी कुछ सुनते हो 
जो सुनते हो तो अनसुना मत करो 

देखों न 
कितने प्यार से कोई आवाज़ दे रहा है 
तुम्हें बुला रहा हो जैसे 
मैं जानती हूँ 
तुम बैचेन हो 
जानना भी चाहते हो 
पर बस डरते हो शायद 
पता नहीं ऐसा क्या होगा वहाँ 
अब जब मिलोगे अगली बार 
तो कुछ हिम्मत जुटा लेना 
ये लाचारी की ज़िन्दगी 
क्यों जीते हो रोज़ 
चलो आओ साथ चले 
मिलकर एक ख्वाब देखते है 
उन आवाज़ों को देखते है 

असल में न सही 
चलो इस बार ख़्वाबों में 
वहां चलते है 

इस समंदर के उस पार कुछ तो है तेरा वेद 
रह रह कर बुलाती है तुझे उस ओर जाने वाली लहरें
--वेद 


कुछ पन्ने है मेरी डायरी के जो कुछ कहना चाहते है,  जो गर आप पहुंच जाये तो बताइये ज़रूर।।

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