फिर कुछ बात हो

वैसे तो आजकल की ये unpredictable सी दुनिया में कौन कब कैसे ये सारे सवाल बेमाने से लगने लगे है। किसी का कोई ख़्वाब टूट कर बिखर गया है, तो कोई जो कभी हुआ ही नहीं उस प्यार के छूट जाने से उदास है। 

 फिर कुछ बात हो

इस बार जब भी मिलो किसी से
तो अच्छा ठीक है सुनने के बाद
एक दो सवाल कर ही लिया करो
वो क्या है ना की
वो तुमसे पहली बार में
अपने राज़ नहीं बताएगा
वो उस शाम मेज़ पर
सर रख कर घंटे भर रोया है
ये नहीं बताएगा

क्यूंकि तुम नहीं जानते हो
की हर रात उसकी नींद पर
किसी का पहरा होता है
यहाँ हर बार कोई
दिल टूट जाने की वजह नहीं होती
जो उसे जगाये रखती है
कभी शेल्फ में रखी
वो अधूरी किताब तो कभी
वो कैनवास पर बनी
साल भर पुरानी अधूरी सी तस्वीर

वो हर रोज़ अपने कमरे में
जब भी अकेला  होता है
तो सोचता है
कोई शायद ये चुप्पी को समझेगा
मेरी छुट्टी की अर्ज़ी को
मुझ तक पहुंचा देगा
अब जब मिलो उससे तो
बस हाल पूछ कर मत आना
वो चाहता है तुम  पूछों
की वो कैनवास वाली तस्वीर
पूरी कब करोगे
वो मेरी अधूरी किताब
मुझे कब लौटा दोगे ?

जाने कैसी उदासी छायी है यहाँ वेद
हर खुशनुमा सा दिखने वाला शख़्स
सुबककर रोने के लिए
एक कोना ढूंढ रहा है

-वेद

उम्मीद है आप अगली मुलाकात में उनसे पूछे की वो अपनी अधूरी धुन कब सुनाएंगे।।  

Comments

  1. खूबसूरत रचना.....कुछ वर्तनी की अशुद्धियाँ हैं उसे ठीक कर लें।
    शुभकामनाएं :)

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular Posts