एक ख़त मेरे पहले प्यार को -३
पार्ट 1-
https://vedpatil.blogspot.com/2018/12/1.html
पार्ट 2-https://vedpatil.blogspot.com/2018/12/blog-post_11.html?m=1
कल फ़िर जो तुमसे मिलने का मौका मिला तो न जाने क्यों ऐसा लगा कि अब हमारी मुलाकातें पहली सी नहीं होती है। मैं तो वहीं पुराना वाला वेद होता हूँ, लेकिन तुम ही बदली बदली सी नज़र आती हो । हो सकता है बदलती तकनीकें और मोबाइल ने हमारे मिलने के अंदाज़ को बदल सा दिया, हमारी लंबी सी मुलाकातों को बहुत छोटा कर दिया है। मैं तुमसे जवाब में ज़्यादा कुछ नहीं चाहता हूं। बस मैं तुम तक पहुँच जाऊ तो मुझे ख़बर कर देना।.
मैं जानता हूँ आजकल तुम मुझसे नाराज़ हो, मैं भी कहा तुम्हें अब उतना वक़्त नहीं दे पाता। लेकिन हां मैं कोशिश ज़रूर करता हूँ कि तुम तक पहुँचने की, पर ना जाने क्यों मन कहीं तुमसे दूर भागने लगा है। क्योंकि मुलाक़ातें छोटी हो ये मुझे पसन्द नहीं और ज़्यादा देर मिल पाऊँ उतना आजकल वक़्त नहीं।
सवाल जवाब सारा कुछ अब जैसे मेरे ही हिस्से रह गये हो, देखो न खुद ही से सवाल करता हूँ। और ख़ुद ही को जवाबों में उलझा लेता हूँ। एक तुम हो जो ख़ामोश गुलाबों की सूखी पत्तियों को ओढ कर ना जाने कौनसे ख़यालों में खोई रहती हो।
सुना है वक़्त की आदत है बिछड़कर चले जाने की
हम वक़्त से परे मिलेंगें आपसे
वेद
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पार्ट 2-https://vedpatil.blogspot.com/2018/12/blog-post_11.html?m=1
कल फ़िर जो तुमसे मिलने का मौका मिला तो न जाने क्यों ऐसा लगा कि अब हमारी मुलाकातें पहली सी नहीं होती है। मैं तो वहीं पुराना वाला वेद होता हूँ, लेकिन तुम ही बदली बदली सी नज़र आती हो । हो सकता है बदलती तकनीकें और मोबाइल ने हमारे मिलने के अंदाज़ को बदल सा दिया, हमारी लंबी सी मुलाकातों को बहुत छोटा कर दिया है। मैं तुमसे जवाब में ज़्यादा कुछ नहीं चाहता हूं। बस मैं तुम तक पहुँच जाऊ तो मुझे ख़बर कर देना।.
मैं जानता हूँ आजकल तुम मुझसे नाराज़ हो, मैं भी कहा तुम्हें अब उतना वक़्त नहीं दे पाता। लेकिन हां मैं कोशिश ज़रूर करता हूँ कि तुम तक पहुँचने की, पर ना जाने क्यों मन कहीं तुमसे दूर भागने लगा है। क्योंकि मुलाक़ातें छोटी हो ये मुझे पसन्द नहीं और ज़्यादा देर मिल पाऊँ उतना आजकल वक़्त नहीं।
सवाल जवाब सारा कुछ अब जैसे मेरे ही हिस्से रह गये हो, देखो न खुद ही से सवाल करता हूँ। और ख़ुद ही को जवाबों में उलझा लेता हूँ। एक तुम हो जो ख़ामोश गुलाबों की सूखी पत्तियों को ओढ कर ना जाने कौनसे ख़यालों में खोई रहती हो।
सुना है वक़्त की आदत है बिछड़कर चले जाने की
हम वक़्त से परे मिलेंगें आपसे
वेद
Very nice
ReplyDeleteShandar
ReplyDeleteShandar #ved...
ReplyDeleteEk aur behetareen rachna...
ReplyDeleteGood one!!!
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