वो जो था ख़्वाब सा
मैं अब जब भी अकेला होता हूं, तो सोचता हूँ कि हमारी आख़िरी मुलाकात कैसी होगी, अब कोई मुलाक़ातहोगी भी या नहीं। उलझा सा मेरा मन तेरी यादों में हर बार की तरह फ़िर से इस उलझन की गिरफ्त में आ गया।
मैं सब कुछ सच सच तो नहीं कहता लेकिन हां आज तुम्हारा जवाब पढ़ कर बड़ा अच्छा लगा। तुमसे मिलने की इच्छा अब औऱ बढ़ती जा रही है, वैसे तो हम हक़ीक़त में मिले ही नहीं कभी। न कभी बातों का कोई सिलसिला शुरू हुआ, जो है वो तो एक ख़्वाब सा कुछ है। जब से तुम्हें लिखने का हुनर सीख लिया, तो सारा दिन तुम्हें लिखने और फ़िर तुम्हें पढ़ने में चला जाता है। ये सब बस यूं ही चलता रहे तुम कुछ कहो न कहो मैं तुम्हें सुन ही लूँगा और फ़िर तुम्हे कलम बना कर कुछ ख़्वाबों की स्याही में भिगोकर ज़िंदगी के कैनवस पर उकेर दूँ।
आज फ़िर कागज़ी दुनिया में तुम्हारा ज़िक्र होगा
हक़ीक़त में मुक्कमल हो ऐसी ख्वाहिश नहीं हमारी
-वेद
मैं सब कुछ सच सच तो नहीं कहता लेकिन हां आज तुम्हारा जवाब पढ़ कर बड़ा अच्छा लगा। तुमसे मिलने की इच्छा अब औऱ बढ़ती जा रही है, वैसे तो हम हक़ीक़त में मिले ही नहीं कभी। न कभी बातों का कोई सिलसिला शुरू हुआ, जो है वो तो एक ख़्वाब सा कुछ है। जब से तुम्हें लिखने का हुनर सीख लिया, तो सारा दिन तुम्हें लिखने और फ़िर तुम्हें पढ़ने में चला जाता है। ये सब बस यूं ही चलता रहे तुम कुछ कहो न कहो मैं तुम्हें सुन ही लूँगा और फ़िर तुम्हे कलम बना कर कुछ ख़्वाबों की स्याही में भिगोकर ज़िंदगी के कैनवस पर उकेर दूँ।
आज फ़िर कागज़ी दुनिया में तुम्हारा ज़िक्र होगा
हक़ीक़त में मुक्कमल हो ऐसी ख्वाहिश नहीं हमारी
-वेद
👌👌👌
ReplyDeleteBeautiful ...👌✌
ReplyDeleteNice
ReplyDelete👌👌👌👍
ReplyDeleteKuch log kagajee duniya me hi achche lagate hai....bahut khub likha hai...likhate rahiye
ReplyDeleteGreat work vedant 👌👌
ReplyDeleteNice..
ReplyDeleteWriter 👌👌😊
ReplyDeleteख्वाब अच्छे है.....
ReplyDeleteWriter sahab... Ek no.
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