थोड़ा मतलब कितना



  अक्सर हमारे समाज की कुछ बंदिशें होती है, छोटी छोटी सी इन बातों में हम हमारा वजूद ही कहीं खो देते है।
वैसे तो वूमेनस डे नारी शक्ति इन सब बातों को तो हम किसी त्यौहार की तरह मनाते है। पर शायद हम ये भूल जाते है की जो थोड़े थोड़े  बंदिशें है वो कितनी  है??

 सवाल कई सारे है आजकल हम सवालों  जवाब ढूँढना नहीं चाहते और जो जवाब मिल भी जाये तो हम सवाल ही बदल लिया करते है।  अब देखिये न अभी जब ये थोड़ी थोड़ी सी बंदिशों और इस तरह के मुद्दों वाली बात हुयी तो काफी दोस्तों ने कहा की हम ऐसे थोड़ी है। लेकिन ये सारे लोग भी उसी ८०% समाज का ही एक रूढ़िवादी स्वरुप है।

चलिए एक वाक्या सुनाता हूँ
  बात कुछ यूँ थी की आराधना अपने ससुराल वालों से परेशां लगी थी, पर कभी कहती नहीं थी।

  आराधना एक मध्यमवर्गीय परिवार की साइंस ग्रेजुएट लड़की थी।  जिसे बचपन से बस  यहीं सिखाया था की बेटा हम अच्छे घर के लोग है।  कोई थोड़ा कुछ बोले तो सुन लेना  चुपचाप लौट आना पलट कर ज़वाब  भी मत देना।
  बस अब यहीं तो एक बात थी जो उसके दिमाग में घर कर गई।  शादी के बाद भी आराधना को माँ की ये थोड़ा सा सहने वाली बात याद रही और उसने हर छोटी बड़ी नोकझोक को थोड़ा सा समझ कर टाल दिया।  थोड़ा शब्द की एक खास बात है इसके मायने इंसान दर इंसान बदल जाते है जैसे आराधना की माँ के लिए थोड़ा शब्द का कुछ मतलब होगा, आराधना के लिए कुछ और, आपके, मेरे और  इस समाज के लिए कुछ और। अब माँ ने आराधना से बिदाई के वक़्त कहा था कि बेटा तुम अपने परिवार का नाम रोशन करना ख़ुशी से रहना।  थोड़ी तकरार, विवाद, मन मुटाव तो हर घर में होता है, लेकिन तुम थोड़े से का बुरा ना मानना।  थोड़ा सा सुन भी लेना।

फिर जो नहीं होना था वो हुआ
वक़्त ने एक चाल चली
एक आंधी सी आयीं
कुछ जुल्म
कुछ थोड़ी सी तकरार साथ ले आई
कुछ थोड़ी सी नफ़रत
कुछ  थोड़ी सी मार
कुछ थोड़ी सी गालियाँ
कुछ थोड़ा सा टार्चर

अब क्या है न कि इस आंधी में उजड़ती हुयी आराधना को पता ही नहीं था कि ये सब थोड़ा बस है या ज्यादा हो चूका है।

वो थोड़ा का मतलब तलाशती रही और अब हम आराधना को तलाशते है।  

1/4 of women worldwide will experience domestic/dating violence in their lifetime. Women between the ages of 20 to 24 are at greatest risk of becoming victims of domestic violence.

थोड़ा भी क्यों सहना है वेद
है कमीं कुछ तो फिर बस कह देना है
देखो वक़्त नहीं रहता है बाद में कभी
जो कहना हैं सुनना है तो बस अभी ही है

-वेद 

Comments

Post a Comment

Popular Posts