जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है

 ये सदियों से बेख्वाब, सहमी सी गलियाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियाँ
ये बिकती हुई खोखली रंग-रलियाँ
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं

वैसे तो कभी फ़िल्में समाज का आयना हुआ करती थी या कह लीजिये आ भी।  फिल्म प्यासा में एक चित्रण है जिसमे देव दासियों(Prostitutes ) के जीवनपर प्रकाश डाला गया।

जैसे सदियों से एक ख़्वाब हो जो पैसों और मजबूरियों के मारे कहीं खो है, ये गीत उन्हीं ख्वाबों  बात करता है।  वहां कुछ उम्र से पहले ही हुए तजुर्बे है, कुछ खोखले से अरमान।  सवाल बस इतना सा  है की क्या यहीं  हिंदुस्तान है ??


जिन्हे नाज़ हिन्द पर वो कहाँ है

Original Song

गीतकार:- साहिर लुधियानवी 

Comments

Popular Posts