सुबह की धूप
उसे फ़िक्र थी
सुलगते अलावों की
उसे ठण्ड की अकड़
को
मात भी तो देना
था
उसे फिक्र मेरी
भी तो थी
कल का वादा
निभाना जो था
तभी तो आज कुछ
जल्दी ही आई है
अभी अभी तो अलाव
सुलगे थे
खैर अब आ ही गई
तो साथ निभाना
कुछ पहर आसमान
यूँ ही गर्म रखना
मै भी उठ खड़ा हुआ
हूँ अलसाते हुए |
बहुत कुछ है जो
निखर गया है, इस रोशनी से आज
मेरी दहलीज़ पर
सुबह की धूप की दस्तक हुई है.......
Waooo deep thoughts!!!!
ReplyDeleteMast h
ReplyDeleteNice bhai
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ReplyDeleteGood one...Ved
ReplyDelete😊👍👍
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ReplyDeletemast h bhai 👍👍👍👌
ReplyDelete👍👍
ReplyDeleteशानदार बहुत सुन्दर
ReplyDeleteBhot khub
ReplyDeleteBahut pyari h bhai
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