कोई तो है
भीड़ में रहने लगा हूँ आजकल
कई सारे लोग रोज़ होते है आसपास
उस भीड़ में कई सारे दोस्त भी हैं
तो कई सारे नए चेहरे भी है
ये जो नए चेहरे है ना
इनमें से कुछ तो पहले भी थे
अंतर बस इतना है कि
अब चेहरे पर मुखोंटा लगा है इनके
मैं जानता हूँ इन्हें अच्छे से
क्या इतना आसान होता है चेहरे बदलना
ख़ैर कब तक बदल पाओगे
कभी न कभी तो पकड़े जाओगे
जो दोस्त है मेरे इस भीड़ में
उनसे अक्सर कहता हूँ
चाहे कितना ही बदल जाओ
खुद की नज़रों से भला
बचोंगे कैसे
एक दो के नक़ाब हटाओ तो ज़रा
कोई तो है जो है तुम्हारे लिए खड़ा
--वेद
कई सारे लोग रोज़ होते है आसपास
उस भीड़ में कई सारे दोस्त भी हैं
तो कई सारे नए चेहरे भी है
ये जो नए चेहरे है ना
इनमें से कुछ तो पहले भी थे
अंतर बस इतना है कि
अब चेहरे पर मुखोंटा लगा है इनके
मैं जानता हूँ इन्हें अच्छे से
क्या इतना आसान होता है चेहरे बदलना
ख़ैर कब तक बदल पाओगे
कभी न कभी तो पकड़े जाओगे
जो दोस्त है मेरे इस भीड़ में
उनसे अक्सर कहता हूँ
चाहे कितना ही बदल जाओ
खुद की नज़रों से भला
बचोंगे कैसे
एक दो के नक़ाब हटाओ तो ज़रा
कोई तो है जो है तुम्हारे लिए खड़ा
--वेद
Great!!!! Loved last four lines.
ReplyDeleteKeep it up
Out standing veda really we can't understand real &fake
ReplyDeleteAgree bro...we said
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