ये मन की बातें
तुम्हारी आँखों के किस्से बहुत मशहूर है शहर में
बात चेहरों से आगे बनी ही नहीं
रंग, नक्काशी बनावट के बीच
तुम्हारे मन का कहीं खो जाना
ये जो इतने प्रेम गीत लिखे गए
इनमें तुम्हारे विचारों पर कोई गीत नहीं है
निश्चल, निष्कपट इत्याति उपमाएं है मात्र
तुम्हारी चुप्पी ने,
आँखों को बोलने का अवसर दिया
और ये मन की बातें
लोगों ने इन्हें इशारे समझ कर
इन दो नैनों की अनेकों कहानियाँ लिख दी
तुम्हारा बोलना आवश्यक है
तुम्हारी आवाज़ और होठों की बनावट
पर लिखें गीतों को ज़िंदा करने के लिए
मन, मस्तिष्क, विचारों के
इर्दगिर्द भी कुछ लिखा जाए
मैं इस आशा में तुमसे फिर मिलूंगा कभी
-वेद
Bahut sundar
ReplyDeleteShukriya
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