नन्हीं चींटी



दाना लेकर चलती चींटी
पीछे मुड़कर देख रही थी
एक पहाड़ से आकार का चप्पल फेंका है किसी ने
और फेंका है एक सफ़ेद साँप जैसा कुछ
वो डरी सहमी सी
अपनी पकड़ मजबूत कर भागने लगी
तभी अचानक एक बड़े से कपड़े ने
उसका रास्ता रोक दिया
एक पल को परेशान हो कर
इधर उधर राह ढूँढने लगी
जब कुछ समझ नहीं आया
तो वहीं बैठ गई
उसके अलावा उस कमरे में
दो और लोग थे
जो बोलना भी जानते थे
एक फाँसी के फंदे पर लटक जाने की
बात कर रहा था
अपने अंतिम प्रयास में
वो सफल नहीं हो पाया
उसके साथ वाला शायद उसका दोस्त है
जो दिलासा देने की नाकाम कोशिश में है
उसने एक कविता पढ़ना शुरू किया
जिसमें एक नन्ही चींटी के दाना लेकर
दीवारों पर चढ़ जाने का ज़िक्र था
ये सुनकर चींटी को अपना बैठना खटकने लगा
वो नहीं चाहती थी कि
कोई लिख दे
नन्हीं चींटी रुक गई थी
एक बड़े से कपड़े के रोके जाने पर


-वेद

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