सृजन

अपने नवीन सृजन को
रंगमंच सजा है किरदारों से
कई सारे दृश्य है आने को
एक नया तमाशा बनाने को

यहाँ अब रोज़ कुछ होना है
नई कहानियां घटनी है
पुराना सब यादों में बस होगा
बंद कहीं कोठारी के अँधेरे में होगा

फ़िर एक दिन हम तुम
इस नवीन रंगमंच पर
अपने पुराने किस्सों को
फिर पर्दे पर लाएंगे

साक्षात्कार होगा नए समय से
बीते कल की बातों का

-वेद

Comments

Post a Comment

Popular Posts