तलाश
अब निशान ढूंढ़ते है
घर तो बचें नहीं वहाँ
10 मंजिला इमारतों के बने
मकानों में ज़िन्दगी ढूँढ़ते है
कहीं बन्द दरवाज़े है
कहीं सालों से पसरा सन्नाटा
न इंसानों का शोर है
न तारों से गुफ़्तगू को आंगन
ज़िंदगी चल रही है
शहर अंजान नए चेहरे
लेकिन दिल आज भी इन मकानों में
उसी घर को तलाशता है
यादों मर सँजोया
बचपन का खेल ढूंढ़ता है
फिर सब निशान सँजो के
नई आँखों से एक घर देखता है
-वेद
घर तो बचें नहीं वहाँ
10 मंजिला इमारतों के बने
मकानों में ज़िन्दगी ढूँढ़ते है
कहीं बन्द दरवाज़े है
कहीं सालों से पसरा सन्नाटा
न इंसानों का शोर है
न तारों से गुफ़्तगू को आंगन
ज़िंदगी चल रही है
शहर अंजान नए चेहरे
लेकिन दिल आज भी इन मकानों में
उसी घर को तलाशता है
यादों मर सँजोया
बचपन का खेल ढूंढ़ता है
फिर सब निशान सँजो के
नई आँखों से एक घर देखता है
-वेद
Very nice brother
ReplyDeleteAppreciated 👌
ReplyDeleteWell said bro...
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