मैं लिख रहा हूँ एक कहानी
मैं लिख रहा हूँ एक कहानी
तुम्हारे लिए कोई जगह खोजता हुआ
मैं लिख देता हूँ क्षितिज की ओर जाता एक रास्ता
तुम वहाँ कही रुक कर इंतज़ार में हो
और इंतज़ार करती तुम
देख कर मुझे लिपट गई हो मुझसे
मैं तुम्हारा इंतज़ार का अंत हूँ शायद
इसी आशा में तुम मेरा हाथ थाम क्षितिज की ओर चल पड़ी
मैं तुमसे आगे नहीं जाना चाहता हूँ
मैं अचानक से तुम्हारे इंतज़ार का
पूर्ण होना समझ नहीं पा रहा था
तभी तुम पीछे मुड़कर
मुझे ठीक बराबर में चलने को कह देती हो
क्या बराबरी में चलना प्रेम है
क्या वो प्रेम खोज रही थी
और जो मैंने आकर उसका हाथ थामा था
क्या वो उसके प्रेम को सम्पूर्ण करना था
मैं अब कुछ पीछे छूट गया हूँ
तुम अब बहुत आगे निकल गयी हो
मैंने लिखना बंद कर दिया
अब हमारे बीच की दूरी सीमित हो गई है
मैं प्रेम शब्द का अंत नहीं लिखना चाहता था
सो मैंने तुम्हें रोक दिया है
-वेद
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