छोटी सी एक रात है

छोटी सी इक रात है उसमें पलता एक ख़्वाब वो मुझसे पूछता कई सारे सवाल जवाब में मैं उसे हमेशा एक किस्सा सुनाता हूँ दोहरा देता हूं अपनी वही कहानी जिसमें तुम होती हो मैं होता हूँ
और ख्वाबों की वहीं गलियां होती है ऐसे ही छोटे से किस्से है जिनके हम और तुम हिस्से है इक छोटी सी रात है उसी की ये बात है अच्छा सुनो तुम्हें याद है कि कैसे कहानी में सिर्फ़ तुम और मैं होते थे हाथों में हाथ लेके शाम के साये कदमों से नापते थे वो नदी का किनारा भी कितना हसीन था न जहाँ से उसमें समाता सूरज साथ में देखते है घाट पर चलने वाली वो हवा जो तुम्हें छूकर मुझ तक आती थी तुम्हें पता है तुम्हारे होंठों की हसीं को अपने होंठों से कैद कर लूं बस यहीं सोचता था सोचता था कि बातों का सिलसिला हो छोटी सी इक रात है उसी की ये बात हैं दरअसल बात उसी रात की है जब ख्वाबों का कारवाँ थम से गया बात ये है कि तुम्हारी बिखरीं ज़ुल्फें मेरे हाथों में उलझा हुआ प्यार कहानी का घाट वो डूबता सूरज जैसे कुछ भी ना हो ना वो हवा मुझे छू रही इसी उलझन में रातों से ख़फ़ा है नींद मेरी छोटी सी इक रात है

--वेद
Audio version

Comments

Popular Posts